सत्य बोलने का महत्व तथा जनसंख्या वृद्धि
आज मेरे पुत्र ने पूछा पिताजी जीवन में सत्य बोलने का क्या महत्व है, और यह कैसे संभव है ?
मैंने कहा बेटा ध्यान से सुनो, सत्य बोलने के ऐसे बहुत सारे फायदे हैं जो हमें शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, सामाजिक तथा राजनीतिक लाभ दिलाते हैं।
शारीरिक लाभ, इससे हमारे शरीर का रक्त संचार सामान्य रहता है, ऐसा करने से हम जीवन में होने वाली जटिल बीमारियों से हमेशा दूर रहते हैं, हमारा शरीर स्वस्थ बना रहता है। झूठ बोलने वाले व्यक्ति का आत्मविश्वास कमजोर होता है, वह अंदर से हमेशा डरा हुआ महसूस करता है, जिसकी वजह से वह अनेक बीमारियों का शिकार होता है, और जल्दी मृत्यु को प्राप्त होता है।
मानसिक लाभ, सत्य बोलने से हमारा मन साफ होता है, हमारा स्वाभिमान उच्च कोटि का होता है, हम किसी से डरते नहीं हैं, यह हमें निर्भीक बनाता है, इसलिए हमारी कार्य क्षमता बढ़ जाती है और हम हर कार्य मन लगाकर करते हैं।
पारिवारिक लाभ, परिवार के सभी लोग सत्य की राह पर चलने लगते हैं, कोई भी झूठ बोलने से कतराता है, क्योंकि यह परिवार की प्रतिष्ठा की बात होती है। इससे हमारे आने वाली पीढ़ियों का नैतिक स्तर उच्च कोटि का बना रहता है और परिवार के सभी लोग स्वाभिमानी होते हैं तथा किसी भी कार्य को निश्चय के साथ करते हैं।
सामाजिक लाभ, समाज में परिवार की प्रतिष्ठा बनी रहती है और यह समाज के लिए एक उदाहरण होता है कि समाज के लोग भी जीवन में सत्य को अपनाएं। समाज में इनके सामने झूठ बोलने वाले टिक नहीं पाते। सामाजिक स्तर पर सत्य को अपनाना बहुत कठिन होता है, और हमें कई तरह के विरोधों का सामना करना पड़ता है, परंतु अंत में विजय सत्य की होती है। इसके बहुत सारे उदाहरण है। जैसे गौतम बुद्ध, महात्मा गांधी, सावित्री बाई फुले, हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद इत्यादि लोगों ने अपने स्वाभिमान को कभी झुकने नहीं दिया और वे आज भी अजर-अमर हैं। विश्व में ऐसे उदाहरण बहुत हैं, ऐसे लोगों के त्याग बलिदान और अविष्कारों से आज हम तरक्की कर रहे हैं।
राजनीतिक लाभ, राजनीतिक लाभ का संबंध देश के अंदर वह बाहर हर जगह होता है। ऐसा कहा जाता है कि संस्कृति हमेशा ऊपर से नीचे की ओर फैलती है, मतलब जैसा मुखिया होगा वैसा उस देश के नागरिक बन जाएंगे। कल्पना कीजिए हमारे सभी राजनेता ईमानदार हों कोई भ्रष्टाचारी न हो तो देश की समृद्धि का स्तर क्या होगा। यदि ऐसा हो तो देश का कोई भी नागरिक भ्रष्टाचार व रिश्वत को जानता ही नहीं होगा। यदि कोई देश ऐसा हो गया तो, शायद पूरा विश्व भी ऐसा बनने लगेगा।
यह सारी बातें काल्पनिक क्यों लगती हैं ? क्या सच बोलना ही इतना कठिन कार्य है ? यदि सिर्फ सत्य बोलने से पूरी दुनिया एक परिवार जैसा लगने लगे तो क्या बुरा है ? यदि ऐसा हो जाए तो पूरे विश्व में कहीं भी अपराध व भ्रष्टाचार नहीं होगा किसी को किसी से डर नहीं होगा, सभी लोग अपना कार्य मन लगाकर करेंगे, सबकी तरक्की होगी।
परंतु यह सब तभी संभव है, जब जनसंख्या नियंत्रित हो। जिन देशों में जनसंख्या नियंत्रित है, वे तरक्की कर रहे हैं, व वहां अपराध कम है। जनसंख्या विस्फोट होने से संसाधनों की कमी होने लगती है, और लोगों में बेईमानी जागृत होने लगती है, ऐसा लगता है कि सत्य मार्ग पर चल कर पेट पालना तो दूर जीवन भी संभव नहीं है, यह एक कटु सत्य है। इससे हमें पता चलता है कि बढ़ती हुई जनसंख्या कैसे सत्य बोलने को प्रभावित करती है और दुनिया के लोगों का अमन चैन छीन जाता है।
आइए यह प्रण करें कि जनसंख्या नियंत्रित करने वाले लोगों को सम्मान देंगे, उन्हें समाज के लिए उदाहरण बनाएंगे, ऐसे लोग वंदनीय हैं। सत्य की राह पर चलेंगे और सब को चलना सिखाएंगे ताकि पूरा विश्व निरोग, खुशहाल और समृद्ध हो।
जय बुद्ध।। जय भारत।। जय विश्व।।